उच्चतर माध्यमिक व स्नातक स्तर के छात्र-छात्राओं की पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जागरूकता-एक अध्ययन

  • मुकेश कुमार

Abstract

वर्तमान समय में पर्यावरण शिक्षा की समस्या विश्व की सबसे बड़ी समस्या है जो दिनों-दिन और अधिक विकराल रूप धारण किए जा रही है। व्यक्ति व समाज पर्यावरण शिक्षा के अभाव में सन्तुलित पर्यावरण एवं पर्यावरण संरक्षण के बारे में समुचित ढ़ंग से सोच नहीं पा रहा है। इन समस्याओं का निराकरण पर्यावरण शिक्षा द्वारा ही सम्भव है। पर्यावरण शिक्षा मानव को प्राकृतिक संसाधनों का दोहन व समुचित उपयोग, पर्यावरण असन्तुलन एवं पर्यावरण प्रदूषण के कारणों एवं उनसे उत्पन्न होने वाले गम्भीर संकटों से परिचित कराती है। औद्योगीकरण और जनसंख्या के तीव्र प्रसार से प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में कई गुना वृद्धि हुई है। इससे पर्यावरण असन्तुलन के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ा है। इन असंख्य दुष्परिणामों से बचने के लिए पर्यावरण शिक्षा के सत्त विकास एवं प्रसार की अति आवश्यकता है। इस आवश्यकता को ध्यान में रखकर विभिन्न राष्ट्रों, संगठनों, सम्मेलनों एवं विचार गोष्ठियों के माध्यम से पर्यावरण शिक्षा के विकास के लिए भागीरथ प्रयास किए गए हैं जिनसे मिले जुले परिणामों की प्राप्ति हुई है। व्यक्तियों को पर्यावरण व पर्यावरण समस्याओं के प्रति जागरूक व संवेदनशील बनाना, उनमें समस्याओं को समझने की सोच विकसित करना, समस्याओं के समाधान हेतु कौशलों का विकास करना एवं शैक्षिक पर्यावरणीय कार्यक्रमों का निष्पक्ष मूल्यांकन करना आदि पर्यावरणीय शिक्षा के मुख्य उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं। शिक्षा, जागरूकता व स्थायित्व पर्यावरण शिक्षा विश्वविद्यालय का अभाव, पाठ्यक्रम एवं अनुसंधान की समस्याएं पर्यावरण शिक्षा के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है।
How to Cite
मुकेश कुमार. (1). उच्चतर माध्यमिक व स्नातक स्तर के छात्र-छात्राओं की पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जागरूकता-एक अध्ययन. Academic Social Research:(P),(E) ISSN: 2456-2645, Impact Factor: 6.901 Peer-Reviewed, International Refereed Journal, 9(4). Retrieved from http://asr.academicsocialresearch.co.in/index.php/ASR/article/view/823