माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत मलिन बस्तियों के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि व शैक्षिक अभिरूचि का अध्ययन

  • भीमरत्न

Abstract

स्वतन्त्रता के पाँच दशकों में भारत में चहुँमुखी प्रगति की है किन्तु इस देश की 52 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी की रेखा के नीचे जीवनयापन कर रही हैं अत्यधिक निर्धनता के कारण ग्रामीण निवासी बहुत अधिक संख्या में रोजगार की तलाश में नगरों में आते हैं। इससे नगरों में आवासीय समस्या उत्पन्न हो गई है। औद्योगिक नगरों में जनसंख्या का दबाव अत्यधिक बढ़ गया है मलिन बस्तियाँ औद्योगिक नगरों और महानगरों की ही उपज है। इन नगरों में व्यक्ति को छोटा या बड़ा रोजगार तो मिल ही जाता है, किन्तु योग्य आवास नहीं मिलता और ये लोग अपनी निम्न आय की वजह से कोई भी आवास किराये पर लेकर रहने में असमर्थ रहते हैं। इसीलिये इन्हें जहाँ कहीं भी कोई खाली स्थान मिल जाता है वहीं पर ये अपनी झोपड़ पट्टी बना लेते हैं। वहाँ पर इन लोगों को पानी, प्रकाश शौचालय आदि की कोई सुविधा नहीं होती है। इसी कारण ये मलिन बस्तियाँ आसपास के वातावरण को भी बुरे ढंग से प्रभावित करती है। इन बस्तियों में स्वास्थ्य शिक्षा और सामाजिक उत्थान की अनेक समस्यायें उत्पन्न हो जाती है। मलिन बस्तियों में शिक्षा का महत्व होते हुए भी वहाँ के लोग शिक्षा की ओर ध्यान नहीं देते हैं और वहाँ के बच्चे समाज की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाते हैं।
How to Cite
भीमरत्न. (1). माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत मलिन बस्तियों के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि व शैक्षिक अभिरूचि का अध्ययन. Academic Social Research:(P),(E) ISSN: 2456-2645, Impact Factor: 6.901 Peer-Reviewed, International Refereed Journal, 9(2). Retrieved from https://asr.academicsocialresearch.co.in/index.php/ASR/article/view/798